गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र

अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र ................. जी हा यही है वो उर्जा का सूर्य जो मुर्दे में जान दल सकता है और हर वो काम कर सकता है जो कि आपकी सोच के भी परे है क्योंकि अग्निहोत्र काजो टाइम है वो है सूर्योदय और सूर्यास्त का , जो कि एक ऐसा टाइम है जब दो विपरीत चीज़े एक दुसरे से मिलती हैऔर इसी टाइम जो उर्जा का विनिमय होता है वो एक सूर्य नहीं ऐसे हजारो सूर्यो कि उर्जा के बराबर होती है सुक्ष्मलेवल पर जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते वैज्ञानिक भी उस उर्जा का जिक्र तो करते है सुक्ष्म लेवल पर वो सिर्फ नाभिकीय संलयन तक ही सिमित है जो कि एक परमाणु के दुसरे परमाणु के साथ क्रिया करने पर ही निकलती है .................. इसीलियें हिन्दू संस्कृति में विवाह लग्न गोधुली बेला यानि कि शाम के समय लगाये जाते है क्योंकि इस समय दूल्हा दुल्हन का हाथ एक दुसरे के हाथ में देने से जो उर्जा मिलती है वो उस अध्यात्मिक शक्ति के बराबर होती है जिसका योगी मुनि लोग गुणगान करते है ............ ॐ साईं ..........

सोमवार, 28 दिसंबर 2009

एक तीव्र इच्छा उठती है ....................

एक तीव्र इच्छा उठती है .................... जब कभी आपकी कुछ खाने कि इच्छा होती है तो आप खा लेते है या सोने कि इच्छा होती है तो आप सो लेते है क्योंकि ये सभी आपके कण्ट्रोल में है पर उन बातो का क्यो जो आपके कण्ट्रोल में नहीं है क्योंकि समय बड़ा बलवान है आज जो आपके कण्ट्रोल है हो सकता है कल आपके कण्ट्रोल में नहीं हो. तब आप मन मसोक कर रह जाते हो पर आपका मन , आपकी भावनाए आपको हर वो गलत काम करने के लियें मजबूर करेंगे , और हो सकता है आपकी बात बिगड़ जाएँ ..................तो फिर क्या करें , वक्त रहते अगर ये बात समझ नहीं आयी तो .................

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

आप किसे संतुष्ट कर रहे हो

आप किसे संतुष्ट कर रहे हो .................... आपने कभी सोचा है कि आपको अगर एक दिन खाना नहीं मिले तो आप कितने व्याकुल हो जाते है और थोड़ी देर पानी नहीं मिले तो आपकी क्यो हालत हो जाती है क्योंकि ये आपके शरीर को चलाने के लियें जरूरी है , पर आपका इन पर कण्ट्रोल नहीं है , इनका आप पर कण्ट्रोल है ये नहीं मिले तो आप अपना पराया सब भूल जाते हैआपका ज्यादातर समय तो अपने शारीर कि आवश्यकताओ को पूरा करने में चला जाता है तो फिर आप अध्यात्म कि तरफ कब ध्यान दोगे जो कि वास्तव में जरूरी है

गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

कल बीत गया , वर्तमान आज है जो अभी भूत हो जायेगा ...

कल बीत गया , वर्तमान आज है जो अभी भूत हो जायेगा ... अरे तो आप कहा इस भूत , वर्तमान के चक्कर में कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है की मेरा क्या होगा अब, अगले पल या तो मै जिन्दा रहूँगा या उस अटल सत्य को पा जाऊंगा जिसे मौत कहते है पर उसके बाद ? यह सब आपके हाथ में हो सकता है जो की वास्तव में सत्य है अभी जो आप सत्य मान रहे है वो तो एक सपना है , झूठ है छलावा है , सपना तो तब टूटेगा जब आप उस अटल सत्य के साक्षी होंगे , लेकिन तब आपके पास कोई चारानहीं होगा ......

रविवार, 20 दिसंबर 2009

क्यो सच्चे मन से माँगने के लियें उस मालिक के दर पर जाने कि जरुरत है ॥

क्यो सच्चे मन से माँगने के लियें उस मालिक के दर पर जाने कि जरुरत है अरे मै कहता हूँ अगर सच्चे मन से ही मांगना है तो वो तो यही पर बैठे बैठे ही मिल सकता है क्योंकि आप में भी तो परमात्मा का वास है और सच्चे मन से मांगी हुई मुराद तो उस के दर तक जाती है तो फिर उसके दर पर जाने कि जरुरत ही नहीं है अगर सच्चा मन है तो , और अगर झूठा मन है तो दर पर भी जाकर कुछ नहीं मिलता। क्या आप अपने अन्दर के परमात्मा को इतना छोटा समझते हो कि वो आप कि मुराद पूरी नहीं कर सकता , अरे आत्मा भी तो परमात्मा का ही अंश है ........

शनिवार, 19 दिसंबर 2009

क्या आपने अपने आखरी वक़्त कि प्लानिंग कर ली है

क्या आपने अपने आखरी वक़्त कि प्लानिंग कर ली है ......... नहीं , तो अभी शुरू कीजिये , पर आप करेंगे क्या , इसके लियें निचे वाली ब्लॉग इंट्री पढिये.... " आपका विनाश हो इसके पहले यह है जरूरी....."

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

आज के बाद कल .....

आज के बाद कल ..... और उसके बाद एक और कल , इसी प्रकार कितने ही कल निकल चुके है और कितने ही कल निकल जायेंगे। पर तब क्यो करोगे जब एक आखरी कल आयेंगा , जाहिर है कुछ नहीं ... क्योंकि आपको पता ही नहीं है कि आखरी कल आने पर क्या करना है , कभी हमने प्रयास ही नहीं किया। प्रयास क्यों करे, हम अच्छे से जीवन जी तो रहे है , आज हमारे पास सब कुछ है और जो नहीं है उसके लियें प्रयास कर रहे है बस और क्या चाहियें .......... पर सिर्फ यही काफी नहीं है भाई क्योंकि असल जिंदगी तो उसके बाद है यह सब तो छलावा है जो आपके कण्ट्रोल में नहीं है , आज जो आपके पास है कल वो किसी और के पास होगा तो फिर क्यों ना उस असल जिंदगी के लियें प्रयास किया जाएँ जो कि वास्तव में आने वाली है ................. गुरुदेव भला करें .....

सत्य क्या है ....

सत्य क्या है .... सत्य वो है जिसे साबित करने कि जरूरत ना पड़े , सत्य वो है जिसे आप देखकर, जानकर भी अनजान बनने कि कोशिश करते है , सच मौत है जिस पर आपका जोर नहीं चलता , आप जिस दुनिया में जी रहे है वो असत्य है इसका दूसरा पहलू ही सत्य है जिसकी तरफ हम देखना नहीं चाहते क्यों , क्योंकि वो आपको आपके झूठ से परिचय करता है , जिसके पास सत्य कि शक्ति है उसके पास ही असली शक्ति है , किसी के पास बहूत सारे पैसे आ जाने पर या कुछ एक व्यक्तियों पर हुक्म चला लेने को शक्तिशाली नहीं कहते , अरे शक्तिशाली तो वो है जो मुर्दे में भी जान डाल दे , अनहोनी को होनी कर दे या होनी को अनहोनी ......................... समझ रहे हो ना , तो फिर किस भुलावे में जी रहे हो ............ मै ये नहीं कहता कि कर्म मत करो या सन्यास ले लो , अरे कर्म करते हुए ही जिसने सत्य को पा लिया वही तो शक्तिशाली है...

गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

आपका विनाश हो इसके पहले यह जरूरी है ...........

आपका विनाश हो इसके पहले यह जरूरी है ........... है कि आप अपना बसेरा कही और ढूंढ़ ले वरना आपको भटकना पड़ेगा कैसे ? बात पर जरा ध्यान दीजियें .......... अगर आपको कोई २४ घंटे का अल्टीमेटम दे तो आप पहले क्या करोगे ......... आप अपनी ही लोकेलिटी का एक नया घर खोजोगे जिसमे आप के लेवल के या आपसे स्टेंडर्ड लोग रहते हो , आपकी ही जाती, समाज के लोग रहते हो , की आपसे छोटे रहन सहन वाले या फिर दूसरी जाती या समाज के लोग रहते हो? क्यो ठीक कहा मैंने ? तो फिर आपको ये बात क्यो नही समझ में आती की जब इस मानव देह को पता नही अल्टीमेटम मिले या मिले और इसे खाली करने का टाइम आयेंगा तो आप कौन सी लोकेलिटी में अपना नया घर यानि की कौन सी नयी देह खोजोगे (मानव या उससे ऊँची( देव) या फिर दूसरी गिरी हुई कुत्ते ,बिल्ली , सूअर ..............) तो फिर जैसे आपने अपना एक मकान होते हुए भी दुसरे मकान बना रखे है या उनकी व्यवस्था कर रखी है की वक्त आने पर दुसरे अच्छे घर में चले जायेंगे तो फिर ये तो जीवन के उस सत्य की बात हो रही है जो की मरने के बाद साथ जाता है ... राम नाम सत्य है .....यही बोला जाता है ........................... तो फिर ऐसे घर की तलाश तो करनी ही पड़ेंगी ........ तो मुझे बताइए अगर आप भी तलाश करना चाहते है .......प्लीज़ अच्छा अगर ये बात समझ नही आती है तो एक और बात सुनियें एक हवाई जहाज उडान भरता है तो उसे पता होता है की उसे कहा लेंड करना है और अगर वह बिना पता किए उड़ जायें तो उसे क्रेश होना पड़ता है या फिर कही गन्दी जगह भी लेंड कर सकता है (मतलब कुत्ते बिल्ली की बात कर रहा हूँ , अगर आपका जिव तत्त्व ये बिना जाने ही आपका शरीर छोड़ देता है की मुझे अगला जन्म इन्सान या उससे अच्छा कोई और देह हो उसमे लेना है तो ठीक है लेकिन अगर बिना पता किए अगर म्रत्यु आ गयी तो फिर कुत्ते , बिल्ली की देह में लेंड करना पड़ेंगा ) समझ रहे हो न .................. क्योंकि हवाई जहाज तो वापस भी आ सकता है लेकिन आपकी आत्मा एक बार बहार निकलने के बाद वापस नही आ सकती .......ॐ साईं राम , ॐ श्री गुरुदेव दत्त

शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

शिव तत्त्व ही बीज तत्त्व है ...............

शिव तत्त्व ही बीज तत्त्व है ............... भोले बाबा जिन्हें सब कहते है वो भोले बाबा आख़िर किस धुन में रमे हुए है , वो क्या है जिसके कारण वो विश भी पी गए ........................... क्यो वो हजारो सालो की समाधी में रमे रहते है , इसका जवाब तो वो ही दे सकता है जिसे समाधी का टेस्ट लगा हुआ है , और शायद वह मुझे भी लग गया है लेकिन उस हद तक नही ....

शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

कोई तो मेरी कसक समझो ......

कोई तो मेरी कसक समझो ...... हे प्रभु , हे मालिक ये मेरे दिल की कसक है जिसे मैं दुनिया वालो को समझाने कि कोशिश कर रहा हूँ ... कुछ तो है जिसे मैंने पा लिया है पर हो सकता है मुझे बताते नही आ रहा है ... यह सब अध्यात्मिक बातें सिर्फ़ दुनिया वालो को बताने के लिए है मै कुछ और भी चाहता हूँ ............ बस ६ महीने और आप दुनिया के उस सर्वोच्च यात्रा के साक्षी होंगे जिसके लियें आपका जन्म हुआ है...... असली यात्रा जो की सत्य है उस अनंत कोटि परमात्मा के मिलन की जिसको पाने का सपना तो सब देखते हैं लेकिन कुछ लोग ही होते है जो उस परम पिता परमेश्वर की कृपा से उसे पुरा कर पाते है....

समय बड़ा बलवान है

समय बड़ा बलवान है ..... सबसे शक्तिशाली कौन है जिसके पास पैसा है , हथियार है , सत्ता है ........ हाँ जिसके पास ये सब है वो यह गलतफ़हमी जरूर पल सकता है की वो शक्तिशाली है .....पर आज जो उसके पास है कल उसके पास होगी या नही ...... यह उसे सोचने की जरूरत है ... ये बाते सुनाने में तो इतनी सिंपल है फिर भी लोगो के समझ में नही आती , बाबुजी यही तो माया का परदा है , अगर सबको समझ में आने लग जायेगी तो सब लोग उस अध्यात्मिक उन्नति की और अग्रसर नही हो जायेंगे ? ॐ साईं ............भगवन सबको समझने की शक्ति दे उस अध्यात्मिक सफर की ....अल्लाह मालिक साईं मालिक .......

सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

ये मेरे दिल की कसक है....

ये मेरे दिल की कसक है.... और शायद हर एक उस व्यक्ति की है जिसे ये पता है की उसके हाथ में तो कुछ भी नही है वो तो एक कठपुतली मात्र है , सुनाने में तो ये बाते जानी पहचानी सी लगती है लेकिन अगर कोई भी इस पर थोड़ा सा ध्यान दे तो ये बताती है की यही जीवन का सत्य है , आप किस अभिमान में जी रहे है जो कुछ आपका आज है कल किसी और का होगा ...... फिर इस झूठे अभिमान से क्या ? मौत एक अटल सत्य है जिसे टला नही जा सकता , फिर ये किस बात का गुरुर , आप बिता हुआ एक पल भी वापस नही ला सकते तो फिर किस अभिमान में जी रहे है क्या आपके पास गाड़ी है बंगला है .....बस इसी अभिमान में .....ये सब तो आज तुम्हारे पास है कल नही होगा तो किस पर अभिमान करोगे ......जरा समझो तो सही .......बाकि साईं मालिक ........ जय बम भोले .........

रविवार, 18 अक्तूबर 2009

बस आपके जीवन के छः महीने दीजिये .......

बस आपके जीवन के छः महीने दीजिये ....... जी हाँ बस छः महीने और मेरे गुरूजी आपको इस जीवन की उन उचाईयों तक पहुँचा देंगे जहा पर होना ही इस जीवन का मूल उद्देश्य है ........जी आप विश्वास किजीयें कोई है जिसने यह सब कुछ पा लिया है और मन में कसक है की अब यह दुसरो को कैसे दू ....... और वो भी बिल्कुल सहज तरीके से और सरल तरीके से , आप इंदौर आइयें और बस कनाडिया रोड स्थित चैतन्य आश्रम जाईयें, आप विश्वास मानिये आपको अध्यात्मिक गुरु मिलेंगे जो की आपके जीवन का मूल्य समझा देंगे और अगर आप अपने ६ महीने उन्हें दान कर देंगे तो आप भी जीवन की उन बुलंदियों तक पहुच जायेंगे जो की किसी भी नार्मल व्यक्ति के लियें असंभव है बिना सद्गुरु की कृपा के .......... जय साईनाथ .....

मेरी बात पर ध्यान दो .........

मेरी बात पर ध्यान दो ................... वैराग्य क्या है ? वैराग्य उत्पन्न होना मतलब सांसारिक वस्तुओ से मोह का नष्ट होना, फिर वो चाहे काम, क्रोध,लोभ, मोह ही क्यो न हो... और वैराग्य जीवन के किसी भी चरण में उत्पन्न हो सकता है और यह उस परम पिता परमेश्वर की कृपा से ही होता है क्योंकि वैराग्य ही उस परम पिता परमेश्वर के निकट जाने का रास्ता है .....

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

यह सब छलावा है............

यह सब छलावा है............ बस एक पल , हाँ बस एक पल आपको ये साबित करने के लियें काफी है....की यह सब माया है.....रिश्ते, नाते, मोह , माया ,................फ़िर क्या करोगे जब ये पता चलेगा और तुम भी मानने लगोगे की ये तो वाकई में छलावा है सत्य तोसिर्फ़ म्रत्यु है , वो परम सत्ता है, वो मालिक है जिसने सत्य बनाया हैं .......................... मैं ख़ुद भी इसी माया मैं उलझा हुआ हूँ... पर कभी कभी सोचता हूँ तो पाता हूँ हाँ सही में...........

बुधवार, 30 सितंबर 2009

एक अनोखा सुकून

एक अनोखा सुकून ............ जी हाँ जिस सुकून की मैं बात कर रहा हूँ वह है रोज जलाभिषेक करने का मन्दिर में .............. महाम्रत्युन्जय मंत्र के जाप का , हनुमान चालीसा पढने का , संकटमोचन हनुमानाष्टक पड़ने का ................. एक अनोखा सुकून................ आप विश्वास मानिये और करके देखियें एक अध्यात्मिक शान्ति मिलेगी ...........

शुक्रवार, 18 सितंबर 2009

मैं कौन हूँ ....................

मैं कौन हूँ .................... यह एक सवाल है जिसका जानना बहूत जरूरी है हर इन्सान की जिंदगी में, मैं मतलब अहंकार ................. जब आप बात करते हैं "मैं" की तो आप हमेशा इस शरीर की बात करते हैं जो भी आपका नाम होता है..... जैसे राम ने बोला ये ब्लॉग राम ने बनाया, तो राम ने जिस राम की बात कहीं वो उस दो पैर , दो आँख , दो कान वाले एक शरीर की बात की ........... पर असलियत में तो राम, राम का शारीर नही हैं वह तो एक चोला है, जो की उस आत्मा ने इस जीवन चक्र कोचलने के लियें धारण करने के लियें धारण किया हैं। राम तो उसी परमात्मा का अंश है ............... इसीलियें जब आप अपनी बात करें तो हमेशा ये ध्यान रखें की आप आपके शरीर की बात नहीं कर रहे अपितु उस परम आत्मा की बात कर रहें हैं ..................... साईं राम ..................

शनिवार, 12 सितंबर 2009

समाधी क्या हैं ?

समाधी क्या हैं ? जी हाँ समाधी ..........जागते हूए का स्वप्न है समाधी .................... नींद में तो आप सपना देखते है और उसमे आप सर्व शक्तिमान बन जाते है पर वो एक स्वप्न रहता हैं ...... जरा गौर किजीयें स्वप्न में आप जो चाहें वो कर सकते है आप उड़ सकते हैं पानी पर चल सकते हैं आप ऐसी ऐसी जगह जा सकते हैं जहाँ आप खुली आँखों से सोच भी नही सकते , पल भर में हिमालय तो कभी समुद्र की गहराइयों में गोता लगा सकते हैं, मन की गति से आप हर वो कार्य कर सकते हैं जो की जाग्रत अवस्था में आप नही कर तो क्या सोच भी नही सकते ................................... पर समाधी जाग्रत अवस्था का स्वप्न हैं जिसमें आप चेतन अवस्था में रहते हुए या जाग्रत अवस्था में रहते हैं और आप वो सारी चीजे जो की नींद में करते हो , सोचते हो कर सकते हो इसी लियें तो साधू संत समाधी पर जोर देते हैं और वो ख़ुद भी समाधी में लीन रहते हैं । समाधी एक अवस्था हैं जिसमे आप ख़ुद उस सर्व शक्तिमान सत्ता के समतुल्य या सर्व शक्तिमान बन जाते हों ॥ परमात्मा के समीप जाने और उन्हें महसूस करने का एक यही सर्वोतम साधन हैं। भगवन आपको अपने से संचार स्थापित करने का एक माध्यम देता हैं जिसका नाम समाधी हैं। और हाँ समाधी के लियें जो आवश्यक शर्त हैं वो ये की आपमें अहम नही होना चाहियें वैसे समाधी में जाने के बाद वैसे भी आपका अहम रहता ही नही हैं । क्योंकि अभी आप खड़े हैं या बैठे हैं मतलब आपकी रीढ़ की हड्डी आपको लियें खड़ी हैं यहीं अहम हैं .....................कैसे ? जैसे ही आप समाधी में जाते हैं आपका अहम निकल जाता हैं और आप गिर जाते हैं जिस भी पोजीशन आप में होते हैं ..... यही सबूत हैं आपके अहम निकल जाने का ...................... ॐ साईं राम बाबा मदद करें आपको समाधी समझने में ..........

स्रष्टि के मूल में क्या है

स्रष्टि के मूल में क्या है ? जी हाँ स्रष्टि के मूल में बिन्दु तत्व है , बिज तत्त्व जो की शिव का आधार हैं .............. आख़िर उस बिन्दु या बिज तत्त्व में है क्या ? उस बिज तत्त्व में वही हैं .............आप क्या समझते हैं ये ब्रह्मांड इतना बड़ा हैं जितना आप देख रहें है और जितनीआपकी सोच हैं , जो जितना बड़ा हैं वो उतने ही छोटे में समाया हुआ है ... बिन्दु में .... यही बिज है.... यही स्रष्टि काआधार हैं................. स्रष्टि का मूल आप है आप में ही समस्त स्रष्टि समाई हुई है (आप मतलब आपका शरीर नही , बल्कि आपकी आत्मा जो की उस परम चैतन्य का अंश है ...) आप के शरीर में ही धरती , आकाश, पाताल, ब्रह्मा, विष्णु , महेश समायें हुये हैं । पर यह सब आपको पता कब चलता हैं ? जब आप समझ जाते हैं की मैं कौन हूँ......

गुरुवार, 10 सितंबर 2009

ध्यान लगाने पर भी कुछ मिलता ? नही.

साईं राम जी हाँ हम लोग अक्सर शिकायत करते है की हम रोज़ सुबह ध्यान लगाने की कोशिश करते है या हमें हमारे बड़ेबुजुर्गो द्वारा समझाया जाता है की सुबह सुबह ध्यान लगना चाहियें ......... पर फिर भी कुछ नही होता ..........क्यों ? इसका जवाब है की हम सही ध्यान नही लगाते, तो फिर सही ध्यान में क्या हैं ....... हमारी आत्मा इस शरीर में सातों चक्रो में भ्रमण करती है और आपको ध्यान भी उसी पर लगाना चाहियें .... पर ये कोई नही बताता की आत्मा कब यानि किस समय २४ घंटो में किस चक्र में रहती है .... और इसीलियें आपको अभी तक धयन का फल मिला नहीं , क्योंकि जब आप ध्यान लगते है तो आप समझते हैंकी आपको सिर्फ़ आँखों के बिच में ही ध्यान केन्द्रित करना हैं पर हो सकता है की उस समय आपकी आत्मा याजीवात्मा आपके मूलाधार चक्र में हो या और किसी चक्र में ..................................... और आप आँखों के बिच में ही ध्यान केंद्रित करते है तो आपको ध्यान का फल कहाँ से मिलेगा ..... और यदि आप सही ध्यान लगाने में सफल हो जाते है तो फिर देखियें आप संपूर्ण जगत के मालिक बन जातेहैं............ तो अब से ऐसे अध्यात्मिक गुरु की तलाश शुरू कर देना है जो की आपको ये सब बताय..........

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

चंदन धारवाल जी के सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहा हूँ प्रश्न : सीक्रेट ऑफ़ लाइफ और हम माया की दुनिया में क्यों है जब ये भागवान की ही तो माया है। हम क्यों जी रहें हैं ............. सबसे पहले तो जीव क्या हैं ? जीव जीवात्मा हैं जिसे जन्म और मरण के बिच में कुछ अन्तराल तय करना है इस शरीर में आकर, और वह अपना जन्म ख़ुद निश्चित करता है अपने कर्मो के अनुसार। जी हाँ आपके ही कर्म उत्तरदायी होते हैं आपके। जहाँ तक माया का सवाल है ये तो जरूरी हैं क्योंकि इसके अभाव में व्यक्ति कर्म कैसे करेगा क्योंकी इसी में तो कम , क्रोध, लोभ , मोह आता हैं और इसी के बीच आपको कर्म करना हैं ................. सीक्रेट ऑफ़ लाइफ यही है की एक जीवात्मा को एक देह धारण करना होती है और वह अपने कर्मो के हिसाब से उसे धारण कर लेता हैं। जीवन तो जीना ही है पर इस माया से बचाकर.... इसके लियें इसी पेज पर आर्टिकल पढ़े " कैसे जीवन जीना हैं इस माया की दुनिया में"।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

एक ऐसा हाथी पालो की तुम्हारी जन्मो जनम की लाइफ बन जाए

एक ऐसा हाथी पालो की तुम्हारी जन्मो जनम की लाइफ बन जाए ............ गुरु की महिमा अपरम्पार है .................
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वराय,
गुरुर साक्षात् परब्रह्म , तस्में श्री गुरवे नमः
जी हाँ जनाब आपको एक बात बताता हूँ एक भिखारी था उसने सोचा की मै एक हाथी पालता हूँ , वो ख़ुद तो रुखी सुखी खाकर गुजरा करता था और उसने ये अजीबोगरीब शौक पाला। अब वो तो ख़ुद भूखा मर रहा था उसने हाथी के लिए भी आफत कर दी। फिर किसी ने सलाह दी की अरे जब तू ये कर्म ख़ुद के लिए कर रहा है तो तू ख़ुद भी भूखा मर रहा है और हाथी कोभी भूखा मार रहा है इसलिए अब तो कर्म इस हाथी के लिए कर तो देख क्या होता है ............. उसने ऐसा ही किया तो उसे रोज़ केले , गन्ना और मेवा मिलने लगा ............ जरा सोचो .............
कौन भिखारी बनेगा(हम) और कौन हाथी (गुरु )
इसका मतलब हम है भिखारी और हमें एक हाथी रूपी अध्यात्मिक गुरु चाहियें जिसके लियें आप अपना "तन , मन , धन " , अपना कर्म करें तो जो अध्यात्मिक दान उन्हें मिलेगा वो तुम्हारा भी तो होगा ...................... याद रखिएगा अध्यात्मिक गुरु, की ऐसे गुरु जो की आपकी भौतिक जरूरतों को पुरा करने का मार्गबतायें(जैसे किसी की शादी नही हो रही हो तो गुरु मंत्र दे और उसकी शादी हो जायें , या किसी को व्यवसाय में मदद चाहियें तो कोई गुरु मंत्र से ठीक हो जायें .........................)

मंगलवार, 21 जुलाई 2009

वार्तालाप मेरा और गुरूजी का....

एक दिन मैंने गुरूजी से पूछा की गुरूजी मैंने कही पढ़ा है की अगर आप को सुख चाहिए तो आप आपनी जरूरतों कोकाम कर लीजिए, पर मैंने सोचा की ये तो कोई बात नही हुई, क्यो .......कोई ये नही बता सकता की आप अपनीजरूरतों को कैसे पुरा कर सकते है ................... गुरूजी : हाँ ये तो बिल्कुल ग़लत है
मै : तो फिर सही क्या है .....
गुरूजी : कबीर दास जी ने कहा है,
" ज्यादा की लालच नही पर.............................. कम में गुजारा होता नही।"
मुझे इस लाइन में गहराई समझ में गयी की गुरूजी ने इस इतनी छोटी सी लाइन में क्या बता दिया .......... सही है ना........................................... जरा सोचो की बस इतनी सी प्रार्थना करना है की मुझे ज्यादा लालच नही हैपर अगर कोई साधू मेरे घर आता है तो मुझे इतना दीजिये की मै उसका आदर सत्कार कर सकू और उसे दान करसकू ....................... यह तो एक साधू की बात हो गयी पर अगर एक हजार साधू या एक लाख साधू गए तो समझ रहे है ना आप...............
" साईं इतना दीजिये जा में कुटुंब समाये , मै भी भूखा ना रहू और साधू भी भूखा ना जाए
मतलब आपके पास इतना धन, संपत्ति ..........हर वख्त होना चाहियें , क्या पता कितने साधू जायें ............

सोमवार, 20 जुलाई 2009

जीवन कैसे जीना है.

" श्री अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानंद सतगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय"
हाँ मुझे एक ओर बहुत महत्वपूर्ण बात पता चली है की कैसे जिया जाए इस माया की दुनिया में क्योंकि हमारे सारे धार्मिक गुरु हमें बताते है की इस तरह से जियो , उस तरह से जियो मतलब इस तरह से जीवन जियो की माया तुमपे हावी भी हो और तुम माया के साथ में रहते हुए अध्यात्म की ओर बढो। इसके लिए तुम्हें एक गुरु की जरूरत होती है अध्यात्मिक गुरू की की ऐसे गुरु की जो की आपकी भौतिक जरूरतों को पुरा करने के लिए आपको मार्गदर्शित करे, याद रखिए अध्यात्मिक गुरु............................ हाँ एक अध्यात्मिक गुरु जो की आपके तन मन और धन को पवित्र और निर्मल कर दे......................... आपको बिना गुरु के क्या समस्या आती है ये भी बताता हूँ ..... जब आप किसी अध्यात्मिक समागम से आते है तो आप अध्यात्म में रंगे हुए होते है लेकिन जब आप कुछ भी कार्य अध्यात्मिक उन्नति के लिए करते है तो ये भगवान् की माया आपको आपकी अध्यात्मिक उन्नति से रोकती है । यही तो माया है मतलब आपके घर आते ही आपकी काम, क्रोध, लोभ, मोह ..... की इच्छाये प्रबल हो जाती है और बस आपका बंटा ढ़ार ....... बस इसी चीज़ से बचने के लिए ही तो गुरु की जरूरत है। आपको अपने गुरु से यही तो प्रार्थना करना है की गुरुजी आप कुछ ऐसा दीजिये जिससे ये माया आप पर कम असर करे ..........क्योंकि पुरी तरह से अगर माया हट जाएँगी तो आप भगवान् बन जायेंगे ....................... आप गुरूजी से कभी भी भौतिक वस्तुओ की मांग न करे। और जब आप ऐसा गुरु से अध्यात्मिक उन्नति की मांग करते है तो आप सही मायने में इंसानों सा जीवन जीते है क्योंकि इंसानों का जीवन आपको मिला ही इसी लिए है की आप इस मायाजाल में रहते हुए इस भवसागर से पर हो जायें। भगवान् सबका भला करें। Yes I have also got one most important thing in life - How to live ? Yes it has always been taught by our all rituals and the teachers of religion that everybody has to live very gently but nobody is able to live like that. But here question is that why everybody is not? Because when you get up in the morning you are caught by "Maya" means "Kam, Krodh, Lobh, Moh" and you work according to that and it is natural unless and until you go to a coaching class of being gentle or you don't ask your teacher(spiritual teacher) to clean your mud on your heart or on your spirit or soul. So the conclusion is that you have to search for a spiritual teacher who could be able to clean your "Tan , Man , Dhan" or "spiritual health and wealth". Do mind it ..............and you will find your own ways.

ॐ साईं राम (नारी महिमा)

" श्री अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानंद सतगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय"
यत्र नारी पूज्यन्ते , तत्र रमन्ते देवता नारी तू नारायणी। नारी हर रूप में पूज्यनीय है। नारी तू जननी है , तेरे बिना संसार अदूर है नारी तू ही शक्ति है (भारतीय नारी (जो मर्यादा ,लज्जा ....... जानती हो) सारी नारियो में भारतीय नारी महँ है। सिर्फ़ भारतीय नारी में ही वो शक्ति है जो यमराज को भी लौटा दे। भारतीय नारी अपनी शक्ति सिर्फ़ भारतीय संस्कृति के सहारे ही बढ़ा सकती है किसी का मन दुखाना ही सबसे बड़ा पाप है। किसी को सुख देना ही सबसे बड़ा पुण्य है नारी का अपमान ही , त्रिलोकी का अपमान है। भारतीय संस्कृति ही सर्वगुन सम्पन्न है। हे भारतीय नारी तू पश्चिमी संस्कृति की और मुड़कर अपनी शक्ति नष्ट कर। भारतीय नारी के सम्मान में ही कुटुंब का सम्मान है , देश का सम्मान है। नारी का सम्मान ही हमारे देश का आभूषण है। नारी का सम्मान ही भारतीय परम्परा है , भारतीय संस्कार है। रोज सुबह शाम माता - पिता के चरण स्पर्श ही हमारे संस्कार है।