"ॐ श्री अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानंद सतगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय"
यत्र नारी पूज्यन्ते , तत्र रमन्ते देवता
नारी तू नारायणी।
नारी हर रूप में पूज्यनीय है।
नारी तू जननी है , तेरे बिना संसार अदूर है ।
नारी तू ही शक्ति है (भारतीय नारी (जो मर्यादा ,लज्जा ....... जानती हो)
सारी नारियो में भारतीय नारी महँ है।
सिर्फ़ भारतीय नारी में ही वो शक्ति है जो यमराज को भी लौटा दे।
भारतीय नारी अपनी शक्ति सिर्फ़ भारतीय संस्कृति के सहारे ही बढ़ा सकती है ।
किसी का मन दुखाना ही सबसे बड़ा पाप है।
किसी को सुख देना ही सबसे बड़ा पुण्य है ।
नारी का अपमान ही , त्रिलोकी का अपमान है।
भारतीय संस्कृति ही सर्वगुन सम्पन्न है।
हे भारतीय नारी तू पश्चिमी संस्कृति की और मुड़कर अपनी शक्ति नष्ट न कर।
भारतीय नारी के सम्मान में ही कुटुंब का सम्मान है , देश का सम्मान है।
नारी का सम्मान ही हमारे देश का आभूषण है।
नारी का सम्मान ही भारतीय परम्परा है , भारतीय संस्कार है।
रोज सुबह शाम माता - पिता के चरण स्पर्श ही हमारे संस्कार है।
सोमवार, 20 जुलाई 2009
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