गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वराय,
गुरुर साक्षात् परब्रह्म , तस्में श्री गुरवे नमः ।
जी हाँ जनाब आपको एक बात बताता हूँ
एक भिखारी था उसने सोचा की मै एक हाथी पालता हूँ , वो ख़ुद तो रुखी सुखी खाकर गुजरा करता था
और उसने ये अजीबोगरीब शौक पाला। अब वो तो ख़ुद भूखा मर रहा था उसने हाथी के लिए भी आफत कर दी।
फिर किसी ने सलाह दी की अरे जब तू ये कर्म ख़ुद के लिए कर रहा है तो तू ख़ुद भी भूखा मर रहा है और हाथी कोभी भूखा मार रहा है
इसलिए अब तो कर्म इस हाथी के लिए कर तो देख क्या होता है .............
उसने ऐसा ही किया तो उसे रोज़ केले , गन्ना और मेवा मिलने लगा ............
जरा सोचो .............
कौन भिखारी बनेगा(हम) और कौन हाथी (गुरु )
इसका मतलब हम है भिखारी और हमें एक हाथी रूपी अध्यात्मिक गुरु चाहियें जिसके लियें आप अपना "तन , मन , धन " , अपना कर्म करें तो जो अध्यात्मिक दान उन्हें मिलेगा वो तुम्हारा भी तो होगा ......................
याद रखिएगा अध्यात्मिक गुरु, न की ऐसे गुरु जो की आपकी भौतिक जरूरतों को पुरा करने का मार्गबतायें(जैसे किसी की शादी नही हो रही हो तो गुरु मंत्र दे और उसकी शादी हो जायें , या किसी को व्यवसाय में मदद चाहियें तो कोई गुरु मंत्र से ठीक हो जायें .........................)
7 टिप्पणियां:
manoranjak n educative.
kya baat hai. narayan narayan
रोचक एवं शिक्षाप्रद प्रसंग!
आभार!
Dhanywad aap Sabhi ka jinhone protsahan diya
Neelam ki traf se shubhkamnaye
Achcha laga is blog par aakar.
all the very best wishes for ur
innovative efforts for making english simple
From
Atul Gumasta
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