गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र

अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र ................. जी हा यही है वो उर्जा का सूर्य जो मुर्दे में जान दल सकता है और हर वो काम कर सकता है जो कि आपकी सोच के भी परे है क्योंकि अग्निहोत्र काजो टाइम है वो है सूर्योदय और सूर्यास्त का , जो कि एक ऐसा टाइम है जब दो विपरीत चीज़े एक दुसरे से मिलती हैऔर इसी टाइम जो उर्जा का विनिमय होता है वो एक सूर्य नहीं ऐसे हजारो सूर्यो कि उर्जा के बराबर होती है सुक्ष्मलेवल पर जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते वैज्ञानिक भी उस उर्जा का जिक्र तो करते है सुक्ष्म लेवल पर वो सिर्फ नाभिकीय संलयन तक ही सिमित है जो कि एक परमाणु के दुसरे परमाणु के साथ क्रिया करने पर ही निकलती है .................. इसीलियें हिन्दू संस्कृति में विवाह लग्न गोधुली बेला यानि कि शाम के समय लगाये जाते है क्योंकि इस समय दूल्हा दुल्हन का हाथ एक दुसरे के हाथ में देने से जो उर्जा मिलती है वो उस अध्यात्मिक शक्ति के बराबर होती है जिसका योगी मुनि लोग गुणगान करते है ............ ॐ साईं ..........

1 टिप्पणी:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !