गुरुवार, 31 दिसंबर 2009
अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र
अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र अग्निहोत्र .................
जी हा यही है वो उर्जा का सूर्य
जो मुर्दे में जान दल सकता है और हर वो काम कर सकता है जो कि आपकी सोच के भी परे है क्योंकि अग्निहोत्र काजो टाइम है वो है सूर्योदय और सूर्यास्त का , जो कि एक ऐसा टाइम है जब दो विपरीत चीज़े एक दुसरे से मिलती हैऔर इसी टाइम जो उर्जा का विनिमय होता है वो एक सूर्य नहीं ऐसे हजारो सूर्यो कि उर्जा के बराबर होती है सुक्ष्मलेवल पर जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते । वैज्ञानिक भी उस उर्जा का जिक्र तो करते है सुक्ष्म लेवल पर वो सिर्फ नाभिकीय संलयन तक ही सिमित है जो कि एक परमाणु के दुसरे परमाणु के साथ क्रिया करने पर ही निकलती है ..................
इसीलियें हिन्दू संस्कृति में विवाह लग्न गोधुली बेला यानि कि शाम के समय लगाये जाते है क्योंकि इस समय दूल्हा दुल्हन का हाथ एक दुसरे के हाथ में देने से जो उर्जा मिलती है वो उस अध्यात्मिक शक्ति के बराबर होती है जिसका योगी मुनि लोग गुणगान करते है ............
ॐ साईं ..........
सोमवार, 28 दिसंबर 2009
एक तीव्र इच्छा उठती है ....................
एक तीव्र इच्छा उठती है ....................
जब कभी आपकी कुछ खाने कि इच्छा होती है तो आप खा लेते है या सोने कि इच्छा होती है तो आप सो लेते है क्योंकि ये सभी आपके कण्ट्रोल में है पर उन बातो का क्यो जो आपके कण्ट्रोल में नहीं है क्योंकि समय बड़ा बलवान है आज जो आपके कण्ट्रोल है हो सकता है कल आपके कण्ट्रोल में नहीं हो. तब आप मन मसोक कर रह जाते हो पर आपका मन , आपकी भावनाए आपको हर वो गलत काम करने के लियें मजबूर करेंगे , और हो सकता है आपकी बात बिगड़ जाएँ ..................तो फिर क्या करें , वक्त रहते अगर ये बात समझ नहीं आयी तो .................
शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009
आप किसे संतुष्ट कर रहे हो
आप किसे संतुष्ट कर रहे हो ....................
आपने कभी सोचा है कि आपको अगर एक दिन खाना नहीं मिले तो आप कितने व्याकुल हो जाते है और थोड़ी देर पानी नहीं मिले तो आपकी क्यो हालत हो जाती है क्योंकि ये आपके शरीर को चलाने के लियें जरूरी है , पर आपका इन पर कण्ट्रोल नहीं है , इनका आप पर कण्ट्रोल है ये नहीं मिले तो आप अपना पराया सब भूल जाते है । आपका ज्यादातर समय तो अपने शारीर कि आवश्यकताओ को पूरा करने में चला जाता है तो फिर आप अध्यात्म कि तरफ कब ध्यान दोगे जो कि वास्तव में जरूरी है
गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
कल बीत गया , वर्तमान आज है जो अभी भूत हो जायेगा ...
कल बीत गया , वर्तमान आज है जो अभी भूत हो जायेगा ...
अरे तो आप कहा ई इस भूत , वर्तमान के चक्कर में । कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है की मेरा क्या होगा अब, अगले पल या तो मै जिन्दा रहूँगा या उस अटल सत्य को पा जाऊंगा जिसे मौत कहते है । पर उसके बाद ?
यह सब आपके हाथ में हो सकता है जो की वास्तव में सत्य है अभी जो आप सत्य मान रहे है वो तो एक सपना है , झूठ है छलावा है , सपना तो तब टूटेगा जब आप उस अटल सत्य के साक्षी होंगे , लेकिन तब आपके पास कोई चारानहीं होगा ......
रविवार, 20 दिसंबर 2009
क्यो सच्चे मन से माँगने के लियें उस मालिक के दर पर जाने कि जरुरत है ॥
क्यो सच्चे मन से माँगने के लियें उस मालिक के दर पर जाने कि जरुरत है ॥
अरे मै कहता हूँ अगर सच्चे मन से ही मांगना है तो वो तो यही पर बैठे बैठे ही मिल सकता है क्योंकि आप में भी तो परमात्मा का वास है और सच्चे मन से मांगी हुई मुराद तो उस के दर तक जाती है तो फिर उसके दर पर जाने कि जरुरत ही नहीं है अगर सच्चा मन है तो , और अगर झूठा मन है तो दर पर भी जाकर कुछ नहीं मिलता। क्या आप अपने अन्दर के परमात्मा को इतना छोटा समझते हो कि वो आप कि मुराद पूरी नहीं कर सकता , अरे आत्मा भी तो परमात्मा का ही अंश है ........
शनिवार, 19 दिसंबर 2009
क्या आपने अपने आखरी वक़्त कि प्लानिंग कर ली है
क्या आपने अपने आखरी वक़्त कि प्लानिंग कर ली है .........
नहीं , तो अभी शुरू कीजिये , पर आप करेंगे क्या , इसके लियें निचे वाली ब्लॉग इंट्री पढिये....
" आपका विनाश हो इसके पहले यह है जरूरी....."
शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009
आज के बाद कल .....
आज के बाद कल .....
और उसके बाद एक और कल , इसी प्रकार कितने ही कल निकल चुके है और कितने ही कल निकल जायेंगे। पर तब क्यो करोगे जब एक आखरी कल आयेंगा , जाहिर है कुछ नहीं ... क्योंकि आपको पता ही नहीं है कि आखरी कल आने पर क्या करना है , कभी हमने प्रयास ही नहीं किया। प्रयास क्यों करे, हम अच्छे से जीवन जी तो रहे है , आज हमारे पास सब कुछ है और जो नहीं है उसके लियें प्रयास कर रहे है बस और क्या चाहियें ..........
पर सिर्फ यही काफी नहीं है भाई क्योंकि असल जिंदगी तो उसके बाद है यह सब तो छलावा है जो आपके कण्ट्रोल में नहीं है , आज जो आपके पास है कल वो किसी और के पास होगा तो फिर क्यों ना उस असल जिंदगी के लियें प्रयास किया जाएँ जो कि वास्तव में आने वाली है .................
गुरुदेव भला करें .....
सत्य क्या है ....
सत्य क्या है ....
सत्य वो है जिसे साबित करने कि जरूरत ना पड़े , सत्य वो है जिसे आप देखकर, जानकर भी अनजान बनने कि कोशिश करते है , सच
मौत है जिस पर आपका जोर नहीं चलता , आप जिस दुनिया में जी रहे है वो असत्य है इसका दूसरा पहलू ही सत्य है जिसकी तरफ हम देखना नहीं चाहते क्यों , क्योंकि वो आपको आपके झूठ से परिचय करता है , जिसके पास सत्य कि शक्ति है उसके पास ही असली शक्ति है , किसी के पास बहूत सारे पैसे आ जाने पर या कुछ एक व्यक्तियों पर हुक्म चला लेने को शक्तिशाली नहीं कहते , अरे शक्तिशाली तो वो है जो मुर्दे में भी जान डाल दे , अनहोनी को होनी कर दे या होनी को अनहोनी .........................
समझ रहे हो ना , तो फिर किस भुलावे में जी रहे हो ............
मै ये नहीं कहता कि कर्म मत करो या सन्यास ले लो , अरे कर्म करते हुए ही जिसने सत्य को पा लिया वही तो शक्तिशाली है...
गुरुवार, 3 दिसंबर 2009
आपका विनाश हो इसके पहले यह जरूरी है ...........
आपका विनाश हो इसके पहले यह जरूरी है ...........
है कि आप अपना बसेरा कही और ढूंढ़ ले वरना आपको भटकना पड़ेगा कैसे ?
बात पर जरा ध्यान दीजियें ..........
अगर आपको कोई २४ घंटे का अल्टीमेटम दे तो आप पहले क्या करोगे .........
आप अपनी ही लोकेलिटी का एक नया घर खोजोगे जिसमे आप के लेवल के या आपसे स्टेंडर्ड लोग रहते हो , आपकी ही जाती, समाज के लोग रहते हो , न की आपसे छोटे रहन सहन वाले या फिर दूसरी जाती या समाज के लोग रहते हो?
क्यो ठीक कहा न मैंने ?
तो फिर आपको ये बात क्यो नही समझ में आती की जब इस मानव देह को पता नही अल्टीमेटम मिले या न मिले और इसे खाली करने का टाइम आयेंगा तो आप कौन सी लोकेलिटी में अपना नया घर यानि की कौन सी नयी देह
खोजोगे (मानव या उससे ऊँची( देव) या फिर दूसरी गिरी हुई कुत्ते ,बिल्ली , सूअर ..............)
तो फिर जैसे आपने अपना एक मकान होते हुए भी दुसरे मकान बना रखे है या उनकी व्यवस्था कर रखी है की वक्त आने पर दुसरे अच्छे घर में चले जायेंगे तो फिर ये तो जीवन के उस सत्य की बात हो रही है जो की मरने के बाद साथ जाता है ... राम नाम सत्य है .....यही बोला जाता है न...........................
तो फिर ऐसे घर की तलाश तो करनी ही पड़ेंगी ........
तो मुझे बताइए अगर आप भी तलाश करना चाहते है .......प्लीज़
अच्छा अगर ये बात समझ नही आती है तो एक और बात सुनियें
एक हवाई जहाज उडान भरता है तो उसे पता होता है की उसे कहा लेंड करना है और अगर वह बिना पता किए उड़ जायें तो उसे क्रेश होना पड़ता है या फिर कही गन्दी जगह भी लेंड कर सकता है (मतलब कुत्ते बिल्ली की बात कर रहा हूँ , अगर आपका जिव तत्त्व ये बिना जाने ही आपका शरीर छोड़ देता है की मुझे अगला जन्म इन्सान या उससे अच्छा कोई और देह हो उसमे लेना है तो ठीक है लेकिन अगर बिना पता किए अगर म्रत्यु आ गयी तो फिर कुत्ते , बिल्ली की देह में लेंड करना पड़ेंगा ) समझ रहे हो न ..................
क्योंकि हवाई जहाज तो वापस भी आ सकता है लेकिन आपकी आत्मा एक बार बहार निकलने के बाद वापस नही आ सकती .......ॐ साईं राम , ॐ श्री गुरुदेव दत्त
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