शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

एक ऐसा हाथी पालो की तुम्हारी जन्मो जनम की लाइफ बन जाए

एक ऐसा हाथी पालो की तुम्हारी जन्मो जनम की लाइफ बन जाए ............ गुरु की महिमा अपरम्पार है .................
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वराय,
गुरुर साक्षात् परब्रह्म , तस्में श्री गुरवे नमः
जी हाँ जनाब आपको एक बात बताता हूँ एक भिखारी था उसने सोचा की मै एक हाथी पालता हूँ , वो ख़ुद तो रुखी सुखी खाकर गुजरा करता था और उसने ये अजीबोगरीब शौक पाला। अब वो तो ख़ुद भूखा मर रहा था उसने हाथी के लिए भी आफत कर दी। फिर किसी ने सलाह दी की अरे जब तू ये कर्म ख़ुद के लिए कर रहा है तो तू ख़ुद भी भूखा मर रहा है और हाथी कोभी भूखा मार रहा है इसलिए अब तो कर्म इस हाथी के लिए कर तो देख क्या होता है ............. उसने ऐसा ही किया तो उसे रोज़ केले , गन्ना और मेवा मिलने लगा ............ जरा सोचो .............
कौन भिखारी बनेगा(हम) और कौन हाथी (गुरु )
इसका मतलब हम है भिखारी और हमें एक हाथी रूपी अध्यात्मिक गुरु चाहियें जिसके लियें आप अपना "तन , मन , धन " , अपना कर्म करें तो जो अध्यात्मिक दान उन्हें मिलेगा वो तुम्हारा भी तो होगा ...................... याद रखिएगा अध्यात्मिक गुरु, की ऐसे गुरु जो की आपकी भौतिक जरूरतों को पुरा करने का मार्गबतायें(जैसे किसी की शादी नही हो रही हो तो गुरु मंत्र दे और उसकी शादी हो जायें , या किसी को व्यवसाय में मदद चाहियें तो कोई गुरु मंत्र से ठीक हो जायें .........................)

मंगलवार, 21 जुलाई 2009

वार्तालाप मेरा और गुरूजी का....

एक दिन मैंने गुरूजी से पूछा की गुरूजी मैंने कही पढ़ा है की अगर आप को सुख चाहिए तो आप आपनी जरूरतों कोकाम कर लीजिए, पर मैंने सोचा की ये तो कोई बात नही हुई, क्यो .......कोई ये नही बता सकता की आप अपनीजरूरतों को कैसे पुरा कर सकते है ................... गुरूजी : हाँ ये तो बिल्कुल ग़लत है
मै : तो फिर सही क्या है .....
गुरूजी : कबीर दास जी ने कहा है,
" ज्यादा की लालच नही पर.............................. कम में गुजारा होता नही।"
मुझे इस लाइन में गहराई समझ में गयी की गुरूजी ने इस इतनी छोटी सी लाइन में क्या बता दिया .......... सही है ना........................................... जरा सोचो की बस इतनी सी प्रार्थना करना है की मुझे ज्यादा लालच नही हैपर अगर कोई साधू मेरे घर आता है तो मुझे इतना दीजिये की मै उसका आदर सत्कार कर सकू और उसे दान करसकू ....................... यह तो एक साधू की बात हो गयी पर अगर एक हजार साधू या एक लाख साधू गए तो समझ रहे है ना आप...............
" साईं इतना दीजिये जा में कुटुंब समाये , मै भी भूखा ना रहू और साधू भी भूखा ना जाए
मतलब आपके पास इतना धन, संपत्ति ..........हर वख्त होना चाहियें , क्या पता कितने साधू जायें ............

सोमवार, 20 जुलाई 2009

जीवन कैसे जीना है.

" श्री अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानंद सतगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय"
हाँ मुझे एक ओर बहुत महत्वपूर्ण बात पता चली है की कैसे जिया जाए इस माया की दुनिया में क्योंकि हमारे सारे धार्मिक गुरु हमें बताते है की इस तरह से जियो , उस तरह से जियो मतलब इस तरह से जीवन जियो की माया तुमपे हावी भी हो और तुम माया के साथ में रहते हुए अध्यात्म की ओर बढो। इसके लिए तुम्हें एक गुरु की जरूरत होती है अध्यात्मिक गुरू की की ऐसे गुरु की जो की आपकी भौतिक जरूरतों को पुरा करने के लिए आपको मार्गदर्शित करे, याद रखिए अध्यात्मिक गुरु............................ हाँ एक अध्यात्मिक गुरु जो की आपके तन मन और धन को पवित्र और निर्मल कर दे......................... आपको बिना गुरु के क्या समस्या आती है ये भी बताता हूँ ..... जब आप किसी अध्यात्मिक समागम से आते है तो आप अध्यात्म में रंगे हुए होते है लेकिन जब आप कुछ भी कार्य अध्यात्मिक उन्नति के लिए करते है तो ये भगवान् की माया आपको आपकी अध्यात्मिक उन्नति से रोकती है । यही तो माया है मतलब आपके घर आते ही आपकी काम, क्रोध, लोभ, मोह ..... की इच्छाये प्रबल हो जाती है और बस आपका बंटा ढ़ार ....... बस इसी चीज़ से बचने के लिए ही तो गुरु की जरूरत है। आपको अपने गुरु से यही तो प्रार्थना करना है की गुरुजी आप कुछ ऐसा दीजिये जिससे ये माया आप पर कम असर करे ..........क्योंकि पुरी तरह से अगर माया हट जाएँगी तो आप भगवान् बन जायेंगे ....................... आप गुरूजी से कभी भी भौतिक वस्तुओ की मांग न करे। और जब आप ऐसा गुरु से अध्यात्मिक उन्नति की मांग करते है तो आप सही मायने में इंसानों सा जीवन जीते है क्योंकि इंसानों का जीवन आपको मिला ही इसी लिए है की आप इस मायाजाल में रहते हुए इस भवसागर से पर हो जायें। भगवान् सबका भला करें। Yes I have also got one most important thing in life - How to live ? Yes it has always been taught by our all rituals and the teachers of religion that everybody has to live very gently but nobody is able to live like that. But here question is that why everybody is not? Because when you get up in the morning you are caught by "Maya" means "Kam, Krodh, Lobh, Moh" and you work according to that and it is natural unless and until you go to a coaching class of being gentle or you don't ask your teacher(spiritual teacher) to clean your mud on your heart or on your spirit or soul. So the conclusion is that you have to search for a spiritual teacher who could be able to clean your "Tan , Man , Dhan" or "spiritual health and wealth". Do mind it ..............and you will find your own ways.

ॐ साईं राम (नारी महिमा)

" श्री अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म सच्चिदानंद सतगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय"
यत्र नारी पूज्यन्ते , तत्र रमन्ते देवता नारी तू नारायणी। नारी हर रूप में पूज्यनीय है। नारी तू जननी है , तेरे बिना संसार अदूर है नारी तू ही शक्ति है (भारतीय नारी (जो मर्यादा ,लज्जा ....... जानती हो) सारी नारियो में भारतीय नारी महँ है। सिर्फ़ भारतीय नारी में ही वो शक्ति है जो यमराज को भी लौटा दे। भारतीय नारी अपनी शक्ति सिर्फ़ भारतीय संस्कृति के सहारे ही बढ़ा सकती है किसी का मन दुखाना ही सबसे बड़ा पाप है। किसी को सुख देना ही सबसे बड़ा पुण्य है नारी का अपमान ही , त्रिलोकी का अपमान है। भारतीय संस्कृति ही सर्वगुन सम्पन्न है। हे भारतीय नारी तू पश्चिमी संस्कृति की और मुड़कर अपनी शक्ति नष्ट कर। भारतीय नारी के सम्मान में ही कुटुंब का सम्मान है , देश का सम्मान है। नारी का सम्मान ही हमारे देश का आभूषण है। नारी का सम्मान ही भारतीय परम्परा है , भारतीय संस्कार है। रोज सुबह शाम माता - पिता के चरण स्पर्श ही हमारे संस्कार है।