रविवार, 7 नवंबर 2010

भगवन क्या है ...................

"भगवन" क्या है ................... जी हाँ मै यहाँ पर आपको ये बताने का प्रयास करना चाह  रहा हूँ कि "भगवन" क्या है , कौन है । अनादी कल से एक सर्व साधारण को विभिन्न धर्मं गुरुओं के माध्यम से पता चलता आया है कि भगवन क्या है पर क्या आपने कभी गौर किया है कि जो भगवन कि कल्पना आपने उन जानकारियो के आधार पर कर ली है क्या वाकई में वो ही भगवन है गौर कीजियेगा मै "भगवन " कि बात कर रहा हु ..... किसी ने बोल दिया कि चार हाथ जिसके हो , जिसके गले में सापो कि माला हो या जो शेर पर सवार हो या फिर और कोई ..... या जो भी चमत्कार करें ,हाँ वो भगवन है , पर अगर मैं ये कहूँ कि वो भगवन नहीं जिसकी मै बात कर रहा हूँ वो तो भगवन कि आदि शक्तिया है जो कि उस भगवन के बराबर है क्योंकि वो उस भगवन के बाद आती है जिसकी मै बात कर रहा हूँ और वो भगवन और कुछ नहीं है "प्रक्र्तिस्थिता" है जो आप सब में विराजमान है मतलब उस निराकार निर्गुण सत्ता जहाँ ना कोई ब्रह्मा , विष्णु , महेश है , ना कोई रात  है ना कोई दिन है , ना कोई प्रश्न और ना ही उत्तर है जहाँ कुछ होना या ना होना भी नहीं है ...... वो है भगवन.
इसलियें  कहता हूँ  कि अगर आप किसी मंदिर में भगवन से मिलने जाते है तो आप वाकई में भगवन से मिलने नहीं उनकी शक्तियो से जो कि इस स्रष्टि को बनाने , चलाने , और संहार करने के लियें उस भगवन ने बनायीं है .....समझ रहे हो ना ..........

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