मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

हम क्यों करे ....

हम क्यों करे ....
जी हाँ हमारे ऋषि मुनियों ने हमे सिखाया है की जिंदगी का असली लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ खुद को जानना है , पर हम जाने क्यों जब हमारे पास घर गाड़ी बंगलो और हमारे भगवन का आशीर्वाद भी है ..........
बस यही एक प्रश्न हमे उस सत्य को जानने से रोकता है जिसे जानने के बाद हमारी जिंदगी और भी आसान, सुखमय , और सुलभ हो जाती है और फिर जानने के लियें कुछ नहीं बचता .......
पर हम क्यों करे ......
हम एक उदाहरण लेते है एक फिल्म का ...
मान लिजियें अमिताभ बच्चन  एक फिल्म में डाइरेक्टर के अनुसार एक कुली का रोल करता है तीन घंटे तक वो उसी कुली के भाग्य जो की फिल्म के लेखक ने लिख दिया है , के अनुसार काम करता है | उसका नाम विजय होता है ,उसकी शादी होती है बच्चे और वो सब कुछ जो आपकी जिंदगी में होता है | तो क्या वो उस फिल्म के सरे पात्रो को असल में अपना बेटा , भाई ...... मान लेता है वो तो सिर्फ फिल्म के सफ़र तक ही साथ देते है ना, और फिल्म ख़त्म होने पर वो अपने वास्तविक स्वरुप अमिताभ में आ जाता है ...
जब तक फिल्म चलती है उस पर हो सकता है खून का इल्जाम भी आ जाए उस पर कर्ज भी हो जाएँ , पर कब तक , जब तक फिल्म है उसके बाद तो वो बादशाह अमिताभ.................लेकिन अगर फिल्म के दौरान ही उसके साथ दुर्घटना हो जाती है और वो अपने असली अस्तित्व को ही भूल जाता है तो फिल्म के बाद भी वो विजय कुली बनकर ही जियेगा ........
इसी प्रकार हम भी इस 80 साल की फिल्म में विजय के किरदार में है पर हम विजय के किरदार  को ही असली मन लेते है और अपने असली अस्तित्व जो की परम शक्तिमान है उसको जानने की कोशिश ही नहीं करते .........और फिर म्रत्यु के पश्चात् हमे भटकना पड़ता है क्योंकि हमको पता ही नहीं है की हम तो अमिताभ है जिसका अपना स्टेटस है और बहूत कुछ ............................................
इसीलियें हमे इसी जीवन में ये जानना जरूरी है की हम कौन है , ये नाम तो हमे हमे हमारे माता पिता जो की इस 80  साल की फिल्म के डिरेक्टर है उन्होंने दिया है ...........
इसलियें हमे ये जानने की जरूरत है ................और ये सिर्फ और सिर्फ कोई स्वयं सिद्ध आत्मा ही बता सकती है ..........................