बुधवार, 6 जनवरी 2010

एक एक पल बीत रहा है ....

एक एक पल बीत रहा है .... क्या आपको इसका अंदाजा है की एक एक पल बीतने के साथ साथ ही आपके जिंदगी के दिन कम होते जा रहे है आपइसकी गंभीरता की और ध्यान नहीं दे रहे है क्योंकि आप सिक्के का दूसरा पहलु देख ही नहीं रहे है , क्योंकि आपको भुलावे में रहने की आदत हो गयी है , पर सत्य तो यही है की वो भी एक यथार्थ है , आप क्या समझ रहे है क़ि आप जाग रहे है परन्तु आप असल में तो सो रहे है क्योंकि असल में तो जो अपने आप को जानते हुए कर्म करता है वो ही असल में जागा हुआ है ............................. अपने आप को जानने क़ि भी कई मायने है , आप सभी लोग अपने आप को जानते है क़ि मेरा नाम ये है , मेरा खानदान ये है ......शायद और कुछ थोडा । पर सिर्फ ये ही नहीं काफी है आपको अपने आप को उस अध्यात्मिक स्तर तक जानने क़ि आवश्यकता है ....